PUBLISHED : Oct 27 , 12:22 AM
(Camp Bihar)(वरिष्ठ पत्रकार अतुल पुरोहित की खास रपट) बिहार में राजनैतिक परिदृश्य हलचल मचा रहा है, इधर की सेना, उधर की सेना मुस्तैद नजर आ रही है, 'बि'हार में 'हार' किसके गले में होगा? ये देखना बड़ा ' रोचक' होगा!
मैं एक बार फिर बिहार में विहार करने निकला हूं। समय के अनुसार मेरी दृष्टि इस बार भाजपा के रोचक स्टार प्रचारक अवंतिका नगरी से ताल्लुक रखने वाले यदुवंशी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ' अंतिम पंक्ति के व्यक्ति' डॉक्टर मोहन यादव पर पड़ी। मेरी ही दृष्टि नहीं बल्कि पूरी भाजपा के साथ उनके धुर्र विरोधियों की ' कुदृष्टि' उन पर गढ़ी हुई है।
गुरुवार को उन्होंने अपने गुरु महाकाल का पराक्रम दिखाते हुए, शिव और विष्णु के ' छत्रपो' अखाड़ी दिखाते हुए चित कर दिया और निकल पड़े बिहार में ' हार' की तलाश में यात्रा के लिए...!
वैसे मोहन यादव के चुनावी कवरेज को मैने जिस नजरिये से देखा तो लगा यदुवंश बाहुल्य बिहार में वे कृष्ण की छवि का प्रचार करते हुए अहम भूमिका में नजर आए। उनके चुनावी भाषण कृष्ण, राम, शिशुपाल, सुदर्शन चक्र कृष्ण - सुदामा की मित्रता, मोदी के साथ धर्म, संस्कृति, महावीर स्वामी, नौकरशाही, राम मंदिर, परिवारवाद, विकास और अंतोदय पर ' केंद्रीत' रहा। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बिहार में भाजपा के रणनीतिकारों ने मोहन यादव को रोचक स्टार प्रचारक के रूप में आजमाने का फैसला लिया है, भाजपा की कसौटी पर प्यारे मोहन कितने प्रतिशत सफल हो पाते हैं। यह तो बिहार चुनाव के बाद ही सामने आएगा लेकिन भाजपा को यादव वोटरों को साधने के लिए एक रोचक स्टार प्रचारक जरूर ' प्राप्त' हो गया है।