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त्योहार मतलब रौनक, खुशियां, उत्सव

PUBLISHED : Oct 12 , 10:31 PM

 त्योहार में हम दिल खोलकर पैसा खर्च करते हैं और करना भी चाहिए। त्योहार साल में एक बार आता है और सैलरी हर महीने। लेकिन पैसे खर्च करने में इतनी भी दिलदारी नहीं दिखा देनी चाहिए कि हमारा बटुआ बीमार पड़ जाए, क्योंकि बटुआ अगर एक बार बीमार पड़ गया तो उसे सुधरने में कई महीने लग सकते हैं।

तो क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम खुशी भी भरपूर मनाएं और हमारे बजट की बैंड भी न बजे।त्योहार में एक साथ आने वाले भारी खर्च के लिए पहले से RD करवाना, यानी रेकरिंग डिपॉजिट अकाउंट खोल लेना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है। हर महीने अकाउंट से एक हजार रुपए कट जाएं तो वह अमाउंट पता नहीं चलेगा, लेकिन अगर एक साथ दस हजार रुपए का खर्च पड़ जाए तो वह भारी हो जाता है।

RD में जमा किए जा रहे पैसों पर आपको ब्याज भी मिलेगा और एक बार में ज्यादा लोड भी नहीं पड़ेगा। अगर इस सीजन में आप RD नहीं कर पाए हैं तो अगले साल के लिए अभी से तैयारी कर लें।

इम्पल्सिव बाईंग से लक्ष्मी 

आतीं नहीं, जाती हैं

पहले से कोई प्लानिंग नहीं थी, लेकिन दिवाली की चकाचौंध में बाजार जाने पर हमें अचानक कोई ऐसी चीज पसंद आ जाती है, जिससे हमारे कई महीने का बजट बिगड़ सकता है। जैसे कैमरा, बड़े स्क्रीन का टीवी, ज्वेलरी इत्यादि। दरअसल कई बार हमारी इच्छा का आवेग इतना तेज होता है कि हम बिना सोच-विचार किए उस चीज को खरीद लेते हैं, जिसकी न हमें जरूरत थी और न ही बजट। इस तरह की आदतों से लक्ष्मी आती नहीं, बल्कि घर आई लक्ष्मी चली जाती हैं।दिवाली के आसपास मिलावट की कितनी ही खबरें सुनने को मिलती हैं। जैसे खोए में मिलावट, नकली मावे से बनी मिठाई, गंदे रिफाइंड ऑयल से बना पनीर। ऐसे में दिवाली की महंगी मिठाई और स्नैक्स में पैसे तो ज्यादा लगते ही हैं, सेहत भी खराब होती है।

क्यों न हम वो सारे पकवान घर पर ही बनाएं। वैसे भी अब यूट्यूब पर सभी पकवान बनाने के एक से एक अच्छे वीडियो मिल जाएंगे। इससे आपकी छुट्टियों का भी कुछ क्रिएटिव इस्तेमाल हो जायेगा और आपकी सेहत और बटुआ, दोनों तंदुरुस्त रहेंगे।साल भर के जितने भी बड़े सामान जो हमें खरीदने होते हैं, उसमें से अधिकतर हम दशहरा-दिवाली में ही खरीदते हैं। इसलिए ऑफलाइन स्टोर के साथ-साथ अब ऑनलाइन ऐप वाले भी दिवाली-दशहरा से पहले अपनी दुकान को दुल्हन की तरह सजाकर रखते हैं। इस दौरान काफी बड़ी-बड़ी ऑनलाइन सेल आती हैं। इसलिए इस दौरान अगर आपको कोई भी सामान खरीदना है तो सेल में ही खरीदें। काफी पैसे बच जायेंगे।त्योहारों में इलेक्ट्रॉनिक, गाड़ी, फर्नीचर जैसे खर्चों पर तो हमारा ध्यान जाता है, लेकिन कपड़े, सजावट के सामान, मिठाइयों पर होने वाले छोटे-छोटे खर्चों पर हमारा ज्यादा ध्यान नहीं जाता। ऐसे में कई बार ये छोटे-छोटे खर्च हम कंट्रोल नहीं करते और इस पर थोड़ा-थोड़ा खर्च बढ़ाकर अपने बजट का एक मोटा हिस्सा गंवा देते हैं।

इसलिए छोटे से छोटे हर नए खर्च को करने से पहले हमें अपने आप से ये सवाल पूछना है कि क्या ये खर्च जरूरी है। क्या यही काम इससे कम खर्च में नहीं हो सकता?

aai और AI एक जैसे

लोकसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स की कई मुद्दों पर चर्चा हुई. इन कई विषयों से एक प्रमुख बातचीत AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर भी हुई. प्रधानमंत्री मोदी ने बिल गेट्स से आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर ब View more+

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